Baba Mansaram Rangad Bori Lahli Rohtak Mandir
रोहतक के नजदीक लाहली खेड़ा नामक स्थान है | बड़े बूढ़ो से ऐसा सुनने को मिलाता है | लगभग 1000 हजार साल पहले की बात है की बाबा मनसाराम राजपूत (रांगड़ )लाहली गांव के आस पास के जंगलो में बोरी भाईओ के साथ शिकार खेलते थे | बाबा मनसाराम जी ने बोरी जिने वो अपना धर्म भाई मानते थे के साथ मिलकर मुगलो से बहुत सारे युद्ध किये और जीते | बहुत से लोगो की जान बचाई ,बहुत सी बहनो की इज्जत को बचाया | बाबा जी के गुरु जी का नाम सिद्ध योगी भागु गुरु था जो गुरु गोरख नाथ जी के चेले थे |बाबा मनसाराम जी के पास बहुत सी सिद्धिया थी | बाबा जी लोगो की भलाई के लिए उनका प्रयोग करते थे | बाबा जी को बंगाली इलम व मुसलमानी इलम भी आते थे | बाबा जी की माँ का नाम संदोखी देवी था व् बहन का नाम शासदे देवी था | बाबा जी के दो पत्नियां थी एक को वे बंगाल से जीत क्र लाये थे | भाईओ के साथ शिकार को लेकर युद्ध में बाबा जी वीरगति को प्राप्त हुए | 5 दिनों के बाद बी जब बाबा मनसाराम घर नहीं पहुंचे माता जी को बहुत चिंता हुई | 5 वे रात को माता जी के सपने में बाबा मनसाराम जी आये और युद्ध व् अपनी मौत के बारे में बताया साथ में जगह बी बताई जहा उने मार कर दबाया गया था | और कहा आप मेरे गुरु भागु को बुला लेना | भागु गुरु जी आये बाबा जी का मृत शरीर निकला कच्चा सुत लेकर बाबा जी के मृत शरीर के चारो तरफ 7 बार सूत घुमाया | कहते है उसी समय बाबा जी के मृत शरीर की की राख बन गई थी बिना अग्नि दिए | बाबा जी को भागु गुरु जी ने अमर कर दिया | बाबा जी के धर्म भाईओ के जगह जगह मंदिर बन गए || बाबा मनसाराम जी की बहुत से गाँवो में भी मानने लगे और उनकी पूजा करने लगे | हरियाणा में रिठाल गाँव में सबसे पहले बाबा जी की पूजा शुरू हुई | उसके बाद में धनाना माजरा उदेपुर बडनपुर धरौली सुल्तानपुर फरैण कासंडी जाजनवाला तमसपुरा हांसी खेदड़ उत्तर प्रदेश और गुजरात पंजाब के बहुत से गावो में बाबा जी की पूजा करने लगे | परन्तु बाबा जी का कोई बड़ा मंदिर नहीं था | बाबा जी के नाम से लाहली रोहतक गांव में सामलाती जमीन थी बहुत पहले से उस पर नाजायज कब्ज़ा किआ हुआ था | उसे कोर्ट के द्वारा छुटवाया गया | 8 अप्रैल 2018 को सभी गाँवो के लोग जहा जहा बाबा जी की पूजा होती है | इकठे हुए और मंदिर बनाने पर सहमति बनी लगभग 1 साल में सभी भगतो के दान व् सेवा से मंदिर बन कर तैयार हो गया | बाबा जी की प्रतिमा स्थापित कर दी गई है | अब हर वीरवार व् रविवार को दूर दूर से बाबा जी के दर्शन करने लोग आते है और उनकी मनोकामना पूरी होती है